सकारात्मक सोच पर कहानी – Sakaratmak Soch Par Kahani

सकारात्मक सोच पर कहानी – Sakaratmak Soch Par Kahani : दोस्तों आज हम आपको इस कहानी के माध्यम से ये बताएंगे की कैसे आपकी सोच आपकी हर समस्या का समाधान कर सकती है।

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सकारात्मक सोच पर कहानी

एक राजा की गौशाला में बहुत ही सुंदर बैल था। राजा को वह इतना प्रिय था कि वह दिन में एक बार उसे अवश्य ही देखने जाता था। उस बैल के लंबे सींग, सुंदर व पुष्ट कंधे तथा बड़ी-बड़ी आंखें राजा को प्रसन्न कर देती थीं। युद्ध के कारण राजा को कई वर्ष राज्य से बाहर बिताने पड़े। जब वह वापस लौटा तो बैल की याद आई। गौशाला में जब उसने कमजोर बैल को देखा तो सेवकों से पूंछा इस बैल को क्या हुआ? यह तो बहुत शक्तिशाली था। सेवक ने उतर दिया, महाराज यह वही बैल है जो रथ को पवन की तरह लेकर जाता था।

आज उम्र के कारण ही इसकी यह गति हुई है। राजा ने सोचा कि बूढ़ा होने पर जो स्थिति बैल की हुई है वही एक दिन मेरी भी होगी और ऐसी ही अशक्त अवस्था से मुझे भी गुजरना पड़ेगा, यह सत्य है। इस चिंता ने राजा के चिंतन की दशा ही बदल दी और उसी दिन से वह जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में सत्कर्मो में लग गया। वह बुढ़ापे और मृत्यु के भय से मुक्त हो चुका था।

कहानी का सार

इसका निषकर्ष वेदव्यासजी के शब्दों में यह है, अमृत और मृत्यु दोनों ही शरीर में ही होते हैं। मनुष्य मोह से मृत्यु को और सत्य से अमृत को प्राप्त करता है। यह एक सकारात्मक चिंतन है, जिससे सकारात्मक जीवन बनता है और इसके लिए सकारात्मक द्रष्टि। इस द्रष्टि से वही व्यक्ति सोच सकता है, जिसने- जीवन में संतुलन स्थापित कर लिया है, मन का शुद्दिकरण किया है और स्वयं को एकाग्रचित कर लिया है….


तो दोस्तों आशा करते हैं आपको ये सकारात्मक सोच पर कहानी पसंद आयी होगी, अपने विचार कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।

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