गलतियों को सुधारें और प्रगति करें – A Short Hindi Story with Moral : दोस्तों आज के हमारे इस में आप जानेंगे के आगे बढ़ने के लिए हमें क्यूँ अपनी गलतियों को नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए।
गलतियों को सुधारें और प्रगति करें
A Short Hindi Story with Moral
एक शिल्पकार था। वह जब भी कोई मूर्ति बनाता तो स्वयं ही उसकी कमियां ढूंढता और फिर वैसी ही दूसरी मूर्ति बनाता जिसमें वे कमियां नहीं होती। वह पहली मूर्ति को नष्ट कर देता और दूसरी मूर्ति को ही बाजार में बेचता था। एक बार उसने अत्यंत सुंदर मूर्ति बनाई। जब उसने देखा कि इस मूर्ति में कोई कमी नहीं है, तो वह आश्चर्यचकित हुआ। उसने खूब सूक्षमता से उस मूर्ति से उस मूर्ति का अवलोकन किया और पाया कि इस मूर्ति में कोई कमी नहीं है तो वह रोने लगा। उसके रोने की आवाज उसके पड़ोस में रहने वाले दूसरे शिल्पकार ने सुनी। वह उसके पास आया और उसके रोने का कारण पूछा। शिल्पकार ने कहा कि मुझे इस मूर्ति में कोई कमी नहीं दिख रही है। पड़ोसी ने पूछा-जब कोई कमी नहीं है तो फिर तुम रो क्यों रहे हो? शिल्पकार ने कहा-जब तक मुझे अपनी कमियां नहीं दिखती, तब तक मैं अपनी कला को सुधार नहीं सकता। आज मुझे कोई त्रुटि दिख नहीं रही है, इसलिए मुझे रोना आ रहा है। यदि तुम मेरी इस मूर्ति में कोई कमी निकाल दो तो मैं तुम्हारा आभारी रहूंगा। पड़ोसी ने ध्यान से मूर्ति को देखा और मूर्ति की नाक, कमर व पैरों की उंगलियों में कुछ त्रुटियां निकाली। अपनी मूर्ति की त्रुटियां जानकर शिल्पकार बहुत प्रसन्न हुआ और समझ गया कि कई बार हम स्वयं अपनी त्रुटियां नहीं जान पाते हैं, जबकि दूसरे व्यक्ति उसे साथ-साथ दूसरों से भी अपनी त्रुटियां जानकर सुधारी जाएं तो व्यक्ति बहुत प्रगति कर सकता है।
कहानी का सार
तो दोस्तों आशा है की आपको इस Story गलतियों को सुधारें और प्रगति करें को पढने के बाद सबक मिला होगा कि अपनी गलतियों को देखने और उन्हें सुधारने से ही व्यक्ति प्रगति के पथ पर बढ़ सकता है, लेकिन कई बार व्यक्ति अपनी त्रुटियां नहीं निकाल पाता है। ऐसी स्थिति में उसे अपनी गलतियां निकालने के लिए ऐसे व्यक्ति की सहायता लेनी चाहिए जो वास्तिवक रूप से उसकी त्रुटियां निकाल सके और उसे उन्हें सुधारने का दिशा निर्देश दे सके।