संगति का असर कहानी – Sangati Ka Asar Story in Hindi : दोस्तों आज हम जो कहानी आपके लिए लेकर आये हैं वो है अच्छी संगती और बुरी संगती पर आशा है आपको पसंद आएगी।
संगति का असर कहानी
बंग प्रदेश के नदिया जिले में श्री चेतन्य महाप्रभु के शिष्य मुस्लिम जाति के हरिदास ठाकुर नित्य तीन लाख हरि-नाम का जप कर लेने के बाद ही सोते थे। जब वे नगर में कीर्तन करते हुए घूमते, तब यवन लोग उन पर कोड़े बरसाते। एक दिन यवनों ने उन्हें कोड़े की मार से अधमरा कर दिया और फिर गंगा में फेंक दिया।
कुछ देर बाद वे गंगा से बाहर निकल आए और कीर्तन-प्रचार में लग गए। उन्हें जीवित देखकर यवनों ने एक वेश्या को उस रात्रि उनकी कुटिया पर भेजा। हरिदास के भजन को देखकर वह घंटों तक वहां प्रतीक्षा में बैठी रही और तड़के सुबह कुटिया से वापस अपने घर लौट गई। इस तरह वह सात दिन तक कुटिया में आकर और कई घंटों तक प्रतीक्षा करने के बाद वहां से लौट जाती।
अगली रात्रि जब वह कुटिया में आई, तब उसे देखकर हरिदास बोले-आज मेरा जप जल्दी पूरा हो गया, बोलो, क्या बात है? वेश्या ने उतर दिया,बाबा, आपकी साधना को भंग करने के उदेश्य से यवनों ने मुझे यहां भेजा था, लेकिन आपकी संगति में रहकर आपके भोजन के प्रताप से मेरा ह्रदय पवित्र हो गया है, कृपया मुझे दीक्षा-मंत्र देकर आप मेरा उद्धार कर दें।
यह सुनकर हरिदासजी बोले, बाई, मैं दीक्षा-मंत्र देने का अधिकारी नहीं हूं। तुम स्वयं एकाग्रचित से कीर्तन रोज अपने यहां किया करो, इससे तुम्हारे मन के सारे विकार दूर हो जाएंगे। आगे चलकर वही वेश्या विशुद्ध कृष्ण भक्त बन गई।
कहानी का सार
अच्छे लोगों की संगति में रहकर अच्छे का सृजन होता है, आत्म-विकास में रूचि बढ़ती है जिससे जीवन में रचनात्मक आ जाती है। यह बात भी महत्व की है कि संगत वाले व्यक्ति कैसे हैं? तो दोस्तों आशा करते हैं आपको ये पोस्ट संगति का असर कहानी – Sangati Ka Asar Story in Hindi अच्छी लगी होगी कृप्या अपने विचार कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।