संतोषी सदा सुखी कहानी – Short Moral Story On Satisfaction : आप लोगों ने कई बार बड़े बुजुर्गों से सुना होगा “संतोषी व्यक्ति सदा सुखी” तो दोस्तों आज कि हमारी इस पोस्ट में यही बताने का प्रयास करेंगे।
संतोषी सदा सुखी कहानी
Short Moral Story On Satisfaction
एक व्यक्ति ईश्वर का बड़ा भक्त था। वह ह्र्दय से रोज प्रार्थना किया करता, भगवान मेरी दरिद्रता दूर कर दो। भगवान ने एक दिन उसकी सुन ली और उसके समक्ष प्रकट होकर बोले, मैं तुझे कुछ हीरे-जवाहरात देता हूं, झोली फैला। भक्त ने झोली फैला दी। भगवान ने चार हीरे और चार जवाहरात उसकी झोली में डाल दिए और फिर बोले-अब तू खुश है न। उसके मन में लालच हो आया और हाथ जोड़कर याचना करने लगा-भगवन, कुछ ओर दो। भगवान बोले, मैंने तुझे अपनी इच्छा से जो दिया है’ उसमें संतोष कर और अधिक लालच मत कर। मगर वह नहीं माना और अधिक देने की प्रार्थना करने लगा।
भगवान हंसे और अपने हाथ उठाकर उसे सावधान करते हुए बोले- अब तेरी झोली में हीरे-जवाहरात तब तक गिरते रहेंगे, जब तक तू मना नहीं करेगा, लेकिन तू अपनी झोली के सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार ही ले। यदि एक भी हीरा-जवाहरात धरती पर गिरा तो सब कंकड़-पत्थर हो जाएंगे। वह बोला-आप चिंता न करें, मैं एक भी नीचे नहीं गिरने दूंगा।
भगवान ने हीरे-जवाहरात की बरसात शुरू कर दी और उसकी झोली भरने लगी। इससे उसकी तृष्णा और बढती जा रही थी। वह कहता रहा—और-और। तभी उसकी झोली फट गई और सारे हीरे-जवाहरात नीचे जमीन पर गिरकर कंकड़-पत्थर हो गए। भगवान तो अन्तर्धान हो गए थे। वह व्यक्ति अपना सिर पीटकर रह गया।
कहानी का सार
असंतोषी संसार भर की उपलब्धियां पाकर भी तृप्त नहीं होता। उसकी विचार-शक्ति खत्म हो जाती है और जीवन मेंसदा दु:खी रहता है। अत: अपनी सफलता पर संतोष कर आप यह मनन करें कि आपने एक मुकाम पा लिया है जो आपके सामर्थ्य व शक्ति के अनुसार मिला है। इच्छाओं का कहीं अंत नहीं है। यदि आप सफल होकर असफल न बनना चाहें तो आप अपने ह्रदय में संतोष पैदा करें, क्योंकि संतोष-धन ही सबसे बड़ा धन है। तो दोस्तों आशा करते हैं आपको हमारी ये पोस्ट संतोषी सदा सुखी कहानी – Short Moral Story On Satisfaction अच्छी लगी होगी। अपने विचार कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें। शुभकामनाएं